17 October 2010

जयपुर का जंतर मंतर विश्व धरोहर

जयपुर के जंतर मंतर को यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल घोषित कर दिया है.
जयपुर का जंतर मंतर देखने हर साल सात लाख सैलानी आते हैं.
इस वेधशाला का निर्माण जयपुर के तत्कालीन राजा सवाई जयसिंह ने 1734 में करवाया था. उनकी ज्योतिष और पारंपरिक वेध विज्ञान में गहरी रूचि थी.
राजा जयसिंह ने समरकंद के तत्कालीन शासक उलूग बेग के हाथों बनाई गई वेधशाला से प्रेरणा ली और भारत में वेधशालाओ का निर्माण करवाया.
पहली वेध शाला 1724 में दिल्ली में बनी. इसके 10 वर्ष बाद जयपुर में जंतर मंतर का निर्माण हुआ. इसके 15 वर्ष बाद मथुरा, उज्जैन और बनारस में भी ऐसी ही वेधशालाएं खड़ी की गईं जो आज भी गुज़रे ज़माने के असीम ज्योतिष ज्ञान की गवाही
लेकिन इनमें सबसे बड़ी और विशाल जयपुर की वेध शाला ही है. इसका रखरखाव भी दूसरों से बेहतर है.
राजा जय सिंह के हाथों जंतर मंतर में खड़े किये गए यंत्रों में सम्राट, जयप्रकाश और राम यंत्र भी हैं.
इनमें सम्राट सबसे ऊँचा है और ये इसके नाम से भी ध्वनित होता है.
जंतर मंतर में बने ये यंत्र पत्थर और चूने से बने हैं. ये आज भी न केवल सलामत हैं बल्कि ज्योतिषी आज भी हर साल इन यंत्रों के माध्यम से वर्षा की थाह लेते हैं और मौसम का अंदाज़ा लगाते हैं.
जंतर मंतर का सम्राट यंत्र कोई एक सौ चवालीस फुट ऊँचा है. इस यंत्र की ऊँची चोटी आकाशीय ध्रुव को इंगित करती है.
इसकी दीवार पर समय बताने के निशान हैं जो आज भी सटीक हैं और इससे घंटे, मिनट और चौथाई मिनट को पढ़ा जा सकता है.
इससे पहले राजस्थान में भरतपुर के केवल देव राष्ट्रीय पक्षी अभयारण्य को विश्व धरोहर का दर्जा मिला था.

No comments:

Post a Comment