नवरात्रि में कन्याओ का पूजन विशेष महत्व रखता है | कन्या को देवी का रूप मानकर उनका पूजन किया जाता है | सास्त्रो के अनुसार - एक कन्या की पूजा से एश्वर्य की, दो की पूजा से भोग और मोक्ष की,तीन की पूजा से धर्म, अर्थ एवं काम की, चार की पूजा से राज्यपद की, पाँच की पुँजा से विधा की, छह की पूजा से शटकर्मसिद्धी, सात की पूजा से राज्य की, आठ की पूजा से सम्पदा की और नौ कन्याओं के पूजन से प्रभुत्व की प्राप्ति होना माना जाता है | कुमारी पूजन में दस वर्ष तक की कन्याओ का पूजन निहित है | दो साल तक की कन्या कुमारी, तीन साल की त्रिमूर्तिनी, चार की कल्याणी, पाँच साल की रोहिणी, छह साल की काली, सात साल की चण्डिका, आठ साल की शम्भवी, नौ साल की दुर्गा एवं दस साल की सुभद्रा स्वरुपा मानी जाती है | ध्यान रहे कि दस साल से अधिक
की कन्याओ का पूजन विधान नही है |
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