17 November 2010

कबीर पारख संस्थान का32वां वार्षिक अधिवेशन

कबीर को जानने देश भर से जुटे साहेब

Oct 02, 11:38 pm

इलाहाबाद। कबीर पारख संस्थान का32वां वार्षिक अधिवेशन शुक्रवार को कबीर आश्रम प्रीतमनगर में शुरू हुआ। अधिवेशन में देश भर से हजारों की संख्या जुटे साहेब तीन दिनों तक रहकर संत प्रवर कबीर को जानने के साथ ही उनके विचारों को जानेंगे और अपने जीवन में उतारने का प्रयास करेंगे।
अधिवेशन का शुभारम्भ प्रात:काल कबीर वाणी और बीजक पाठ से हुआ जिसमें असम, बिहार और गुजरात के संत शामिल हुए। तत्पश्चात राजस्थान और गुजरात से आये कलाकारों ने कबीर के भजन 'मन मस्त हुआ फिर क्यों बोले' और 'मन लागो मेरो यार फकीरी में' गाकर लोगों को कबीर से जोड़ने का प्रयास किया। इस अवसर पर सदगुरु संत अभिलाष जी ने साहेब को संबोधित करते हुए संत कबीर को सभी जाति व वर्गो का संगम बताया। कहा कि विभिन्न मत, संप्रदाय के लोग अपनी-अपनी पगडंडियों में चलते हैं लेकिन कबीर इन पगडंडियों के संधि बिन्दु पर खडे़ हैं। कबीर के मार्ग को सहज और सरल बताते हुए कहा कि कबीर को जानने के लिए एक ही शर्त है निर्मोहता और निष्पक्षता। उन्होंने कहा कि संत कबीर का परमात्मा बाहर नहीं भीतर है जो तपस्या नहीं साधना से मिलता है। सद्गुरु अभिलाष साहेब ने कहा कि कबीर भारतीय इतिहास के वह महापुरुष हैं जिन्होंने जिन्दगी भर समन्वय और समता की बात की और मृत्यु के बाद भी मिसाल बन गये। संत सजीवन साहेब ने कहा कि व्यवहार को पवित्र किये बिना आध्यात्मिक उन्नति संभव नहीं है। मध्य प्रदेश के संत सनात साहेब, दिल्ली के विचार दास, गुजरात के विवेकदास, असम के अनमोलदास, उड़ीसा के जगन्नाथदास, राजस्थान के दीपकदास, झारखण्ड के दामोदरदास, छत्तीसगढ़ के अमृतदास आदि ने भी विचार व्यक्त किये।
23 राज्यों से जुटे 15 हजार
कबीर आश्रम में शुक्रवार को नजारा बदला हुआ था। आमतौर पर शांत रहने वाले आश्रम में श्वेत वस्त्रधारी हजारों लोग मिनी कुंभ सा दृश्य पैदा कर रहे थे। कबीर पारख संस्थान के 32वें अधिवेशन में देश के 23 राज्यों से पहले दिन लगभग 15 हजार साहेब जुटे। संस्थान के मीडिया प्रभारी गौरव दास ने बताया कि अभी लोगों के आने का सिलसिला जारी है। श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए स्थाई भवन के साथ सैकड़ों टेंट की व्यवस्था की गयी है।



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