मुझमे एसो होए रहो हें , सब सुख तेरे पास || बीजक साखी
गंगा के कोठे घर करो , नावो नर्मल नीर |
पाया वीना परो मोने तो , कह गया साहेब कबीर ||
साहेब के दरबार में, कमी काहू की नही | बंदे वो पावे नही , सुख साकरी माई |
साहेब के दरबार में, अवडी देखि रित | कंटक नर केडा करे, हरिजन मांगे भीख || १
एक हरिजन को सुख दोउ , तो बधाई हरिजन हो जाये | नरक कुंड खाली पड़े , वैकुंठ में नही समाई ||
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