16 November 2010

साखी

गंगा के कोठे घर करो , नावो नर्मल नीर |
पाया वीना परो मोने तो , कह गया  साहेब कबीर ||

कबीर का घर सोवटे , गला कटीएन के पास |
वो करेगा वो भरेगा , तुम  क्यों  फीरो  उदास ||  

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