कबीर पारख संस्थान में तीन दिनी वार्षिक महोत्सव शुरू
इलाहाबाद। मानुष तेरा गुन बड़ा, मांसु न आवै काज, कबीर के उपदेशों से आपसी सौहार्द एवं अनुशासन का पाठ पढ़ाने के उद्देश्य से कबीर पारख संस्थान का तीन दिनी वार्षिक संत सम्मेलन बुधवार से शुरू हुआ। सद्गुरु पूजन बीजक पाठ, संत समागम के लिए देश भर से आए साधकों का जमावड़ा प्रीतमनगर स्थित कबीर आश्रम परिसर में लगा। कबीर साहित्य एवं चित्र प्रदर्शनी को लोगों ने श्रद्धा पूर्वक निहारा।
कार्यक्रम का आरंभ सुबह आठ बजे कबीर साहेब के चित्र पर माल्यार्पण से हुआ। अभिलाष साहेब ने साधकों को कबीर के बताए रास्ते पर चलने का संकल्प दिलाया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा, कबीर के उपदेशों में मानव विकास का रहस्य छुपा है। वे सच्चे हृदय से पूजा करने के बजाय कर्म करने की नसीहत दी। उन्होंने मानव को तन से कर्म परायण होना और मन से आत्मपरायण होने का संदेश दिया। विश्वशांति एवं मानव कल्याण उनके बताए रास्ते पर चलकर ही संभव है। तदुपरांत बीजक पाठ हुआ। सायं भजन संध्या एवं प्रवचन हुआ। जिसमें विभिन्न प्रांतों से आए संतों ने अपने विचार व्यक्त किया। छत्तीसगढ़ से आए रामचरन ने कहा, तीन दिन में साल भर का सबक सीखने का संकल्प लेकर चला था। आश्रम में अभी रात बिताई है तमाम सांसारिक प्रपंचों से मन हटता लग रहा है।इस मौके पर देवेंद्र दास, गौरव दास, धर्मेंद्र दास समेत बड़ी संख्या में साधक श्रद्धालु मौजूद रहे।
इलाहाबाद। मानुष तेरा गुन बड़ा, मांसु न आवै काज, कबीर के उपदेशों से आपसी सौहार्द एवं अनुशासन का पाठ पढ़ाने के उद्देश्य से कबीर पारख संस्थान का तीन दिनी वार्षिक संत सम्मेलन बुधवार से शुरू हुआ। सद्गुरु पूजन बीजक पाठ, संत समागम के लिए देश भर से आए साधकों का जमावड़ा प्रीतमनगर स्थित कबीर आश्रम परिसर में लगा। कबीर साहित्य एवं चित्र प्रदर्शनी को लोगों ने श्रद्धा पूर्वक निहारा।
कार्यक्रम का आरंभ सुबह आठ बजे कबीर साहेब के चित्र पर माल्यार्पण से हुआ। अभिलाष साहेब ने साधकों को कबीर के बताए रास्ते पर चलने का संकल्प दिलाया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा, कबीर के उपदेशों में मानव विकास का रहस्य छुपा है। वे सच्चे हृदय से पूजा करने के बजाय कर्म करने की नसीहत दी। उन्होंने मानव को तन से कर्म परायण होना और मन से आत्मपरायण होने का संदेश दिया। विश्वशांति एवं मानव कल्याण उनके बताए रास्ते पर चलकर ही संभव है। तदुपरांत बीजक पाठ हुआ। सायं भजन संध्या एवं प्रवचन हुआ। जिसमें विभिन्न प्रांतों से आए संतों ने अपने विचार व्यक्त किया। छत्तीसगढ़ से आए रामचरन ने कहा, तीन दिन में साल भर का सबक सीखने का संकल्प लेकर चला था। आश्रम में अभी रात बिताई है तमाम सांसारिक प्रपंचों से मन हटता लग रहा है।इस मौके पर देवेंद्र दास, गौरव दास, धर्मेंद्र दास समेत बड़ी संख्या में साधक श्रद्धालु मौजूद रहे।
ब्लाग की दुनिया में आपका स्वागत है। बहुत अच्छा लिख रहे हैं।
ReplyDeletewww.maheshalok.blogspot.com- डा० महेश आलोक
हिन्दी ब्लॉग्गिंग में आपका स्वागत है !!
ReplyDeleteब्लॉग जगत में स्वागत है
ReplyDelete
ReplyDeleteबेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
बास वोईस का आमंत्रण :
ReplyDeleteआज हमारे देश में जिन लोगों के हाथ में सत्ता है, उनमें से अधिकतर का सच्चाई, ईमानदारी, इंसाफ आदि से दूर का भी नाता नहीं है। अधिकतर तो भ्रष्टाचार के दलदल में अन्दर तक धंसे हुए हैं, जो अपराधियों को संरक्षण भी देते हैं। इसका दु:खद दुष्परिणाम ये है कि ताकतवर लोग जब चाहें, जैसे चाहें देश के मान-सम्मान, कानून, व्यवस्था और संविधान के साथ बलात्कार करके चलते बनते हैं और किसी को सजा भी नहीं होती। जबकि बच्चे की भूख मिटाने हेतु रोटी चुराने वाली अनेक माताएँ जेलों में बन्द हैं। इन भ्रष्ट एवं अत्याचारियों के खिलाफ यदि कोई आम व्यक्ति, ईमानदार अफसर या कर्मचारी आवाज उठाना चाहे, तो उसे तरह-तरह से प्रता‹िडत एवं अपमानित किया जाता है और पूरी व्यवस्था अंधी, बहरी और गूंगी बनी रहती है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो आज नहीं तो कल, हर आम व्यक्ति को शिकार होना ही होगा। आज आम व्यक्ति की रक्षा करने वाला कोई नहीं है! ऐसे हालात में दो रास्ते हैं-या तो हम जुल्म सहते रहें या समाज के सभी अच्छे, सच्चे, देशभक्त, ईमानदार और न्यायप्रिय लोग एकजुट हो जायें! क्योंकि लोकतन्त्र में समर्पित एवं संगठित लोगों की एकजुट ताकत के आगे झुकना सत्ता की मजबूरी है। इसी पवित्र इरादे से भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) की आजीवन सदस्यता का आमंत्रण आज आपके हाथों में है। निर्णय आपको करना है!
http://baasvoice.blogspot.com/