इलाहाबाद
इलाहाबाद : यह कबीर की दुनिया है। अपनी धुन में मगन और दुनियावी रास-रंग से दूर। रविवार को प्रीतमगर के कबीर पारख संस्थान में 22 प्रांतों से आये साहेब जुटे तो 'हमन हैं इश्क मस्ताना, हमन को होशियारी क्या' की धुन मानों साकार हो उठी। हर साल की तरह ही इस बार भी साहेबों इस जमावड़े का मूल भाव 'हमारा गुरनाम सांचा है, हमन दुनिया से यारी क्या' ही रहा। कबीरपंथियों का तीन दिनी अधिवेशन रविवार को शुरू हो गया। इस दौरान संतश्री अभिलाष साहेब ने कहा कि आदमी अर्थ तो कमा सकता है लेकिन बुद्धि नहीं इसके...
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