२२ अक्टूम्बर शरद पूर्णिमा
शरीर के वात- पित्त - कफ के अनुचित सयोजन से असाम्यता आती है | शीतल दुग्ध व चावल इस असाम्यता का उसित मात्रा में सयोजन क्र व्याधियों को दूर भगाता है | इसलिए शरद पूर्णिमा को दुग्ध - खीर चंद्र किरणों में रखी जाती है | ठाकुरजी को भोग लगाकर प्रसाद रूप में सभी को दी जाती है |
आशिवन सुक्ल पूर्णिमा को पूर्ण चंद्र से अमृत वर्षा होती है | इस समय वर्षा ऋतु का समापन हो जाता है | आसमान स्वच्छ व निर्मल होता है |
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