23 October 2010

करवा चौथ

 रिश्तों की गरिमा है करवा चौथ
पति   की दीर्घायु  की कामना 
शगुन  देने की परंपरा 
करवा चौथ का महिलायों को लंबे समय से इंतजार रहता है | जिन लडकियों की पहली  करवा चौथ होती है , उनका उत्साह   देखते ही बनता है | यह व्रत सुहागिन स्त्रिया पति की लंबी उम्र की कामना के लिए करती है |  कही  कही इसे 'हरतालिका तीज ' भी कहते है | उद्देश्य  एक ही होता है | पुरे दिन निर्जल व्रत रखकर इश्वर से पति परमेश्वर की दीर्घायु की प्रार्थना करती है | अपनी मन पसंद की ड्रेस के साथ- साथ सासु- माँ के लिए भी खरीदारी की जाती है | क्योकि  उन्हें भी तो बायेने में शगुन के रूप में कुश देना है | इन पंक्तियों के साथ शगुन के रूप में कुश देना है | इन पंक्तियों के साथ शगुन देना उनकी आत्मा को बड़ा  सुख देता है - ' माँ ने तो हमे जन्म दिया,  तुमने दिया हमे प्यारा पिया/ सौ सौ साल जियो हमारी  सासुजी................' एक दिन पहले स्त्रिया अपने हाथ- पेरो  मेहँदी लगाती और लगवाती है |  
                                         चौथ  माता की पूजा  
 करवा चौथ व्रत हिंदी महीने के कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चौथ को रखा जाता है | स्त्रिया उस दिन निर्जल व्रत रखती है, पर घर की बड़ी बुजुर्ग  महिलाए पहली करवा चौथ के व्रत के दिन ही कथा सुनने के बाद शाम को चार पाँच बजे के करीब चाय पिला देती है, ताकि भविष्य में यदि  न  रहा जाए तो कोई वहम न रहे | स्त्रिया सुब्ह ही नहाकर  पूर्ण श्रंगार कर लेती है | दुल्हन की तरह सज जाती है | पूजा के स्थान को स्वछ कर वहा करवा चौथ का एक चित्र लगा लेती है | अब तो यह चित्र कलेंडर के रूप सब जगह आसानी से मिल जाता है | पर कुश घरो में चावल  को पीस कर चावल और गेहू से चौथ माता की आक्रति दीवार पार  बनाई जाती है | इसमें सुहाग  की सभी वस्तुए जेसे  सिंदूर , बिंदी , बिचुया ,कंगा  ,शीशा , चूड़ी , महावर  आदि बनाते है |     

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